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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2646
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?

अथवा
'आधुनिक भारत के पिता राजा राममोहन राय पर एक टिप्पणी लिखिए।

उत्तर -

राजा राममोहन राय (1772-1833 ई.)

राजा राममोहन राय ही पहले भारतीय थे जिन्होंने भारतीय समाज को मध्ययुगीन जकड़न से मुक्त कराने का प्रयास किया। इन्होंने नव विचारों की पहल की। उन्होंने उन नवीन विचारों का प्रवर्तन किया, जो 19वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता थी और जिन्होंने भारतीय पुनर्जागरण को जन्म दिया। वह वास्तव में "अतीत और भविष्य के मध्य सेतु" थे। राजा राममोहन राय और महात्मा गांधी आधुनिक भारत के दो छोरों के प्रतीक हैं। राममोहन राय को जहाँ "आधुनिक भारत का पिता" के रूप में अभिनन्दित किया जाता है वहीं महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता के रूप में माना जाता है।

राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई, 1772 को ग्राम राधानगर, जिला हुगली बंगाल के एक रूढ़िवादी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता रमाकान्त राय राय रायाँ' कृष्णचन्द्र बनर्जी के पौत्र थे। इन्होंने बंगाल के नवाब के यहाँ नौकरी कर ली थी और उन्हें 'राय रायाँ की उपाधि मिली। यही उपाधि बाद में संकुचित होकर राय के रूप में परिवार की उपाधि का उपनाम बन गई। वह अरबी, फारसी, संस्कृत, अंग्रेजी तथा बंगाली के प्रकाण्ड विद्वान थे, साथ ही यूनानी, लैटिन तथा हेब्रू जैसी विदेशी भाषाओं के भी ज्ञाता थे। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा पटना तथा वाराणसी में हुई। 1803 से 1814 तक इन्होंने ( दस वर्षों तक ) ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधीन कार्य किया। इस दौरान इन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा। इनकी साहित्यिक कृतियों में 1803 में प्रकाशित एक फारसी ग्रंथ 'तुहफात-उल-मुवादिदीन' ( एकेश्वरवादियों को उपहार), विभिन्न धर्मों पर फारसी में परिचर्चा मंजार्तुल अदयान, फारसी में लिखित बहुत से छोटे-छोटे ग्रंथ वेदान्त और केन उपनिषद् के कुछ भागों का अनुवाद तथा वेदान्त सूत्र का अंग्रेजी में अनुवाद आदि उल्लेखनीय हैं। उनकी प्रस्तावना थी कि वेदान्त में ईश्वरवादी सिद्धान्त मूर्तिपूजा से अदूषित अपने शुद्ध रूप में मिलते हैं। राममोहन राय ईसाई धर्म प्रचारकों के सम्पर्क में भी आए। 1820 में उनकी पुस्तक 'ईसा के नीति वचन शाँति और खुशहाली का मार्ग का प्रकाशन हुआ। इसमें ईसाई धर्म की सहजता और नैतिकता के बारे में उनके दृढ़ विश्वास का उल्लेख मिलता है। 1811 में उनके बड़े भाई की पत्नी द्वारा सती हो जाने से उनके जीवन में संक्रमण ने जन्म लिया। इस घटना ने राजा राममोहन राय को असीम पश्चाताप और करुणा से भर दिया और उन्होंने इस अमानवीय प्रथा को समाप्त करने के लिए दृढ़ निश्चय कर लिया।

एक समाज सुधारक के रूप में राजा राममोहन राय हिन्दू समाज को सभी रूढ़ियों और कुरीतियों से मुक्त कराना चाहते थे। वे भारतीय स्त्रियों की मुक्ति के प्रबल समर्थक थे। 1822 में उनकी हिन्दू उत्तराधिकार नियम के अनुसार महिलाओं के प्राचीन अधिकारों पर आधुनिक अतिक्रमण नामक पुस्तिका का प्रकाशन हुआ। इस पुस्तिका में प्राचीन स्मृति लेखों का प्रमाण देते हुए उन्होंने स्त्रियों के साथ होने वाले सभी प्रकार के भेदभाव और कुरीतियों का विरोध किया। उन्होंने बहु विवाह, कुलीनवाद तथा सती प्रथा का विरोध किया और स्त्रियों को सम्पत्ति का उत्तराधिकारी बनाने का समर्थन किया। उन्होंने भारतीयों की दशा को सुधारने के लिए ब्रिटिश सरकार से निवेदन किया तथा सती प्रथा का उन्मूलन करने के लिए ब्रिटिश सरकार से कानून बनाने के लिए आंदोलन किया। उनके सतत् प्रयासों का ही परिणाम था कि गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बैंटिक ने 4 सितम्बर, 1829 को अधिनियम XVII पारित करके सती कर्म को गैर-कानूनी तथा फौजदारी अपराध की कोटि में रखते हुए दण्डनीय घोषित कर दिया। इस अधिनियम से सामाजिक विधान के द्वारा समाज सुधार की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई।

राजा राममोहन राय बाल विवाह तथा जाति प्रथा की कट्टरता के विरुद्ध एक कठोर धर्म-योद्धा भी थे जिसे उन्होंने अलोकतांत्रिक और अमानवीय कहते हुए वर्णित किया है। वे विधवाओं के पुनर्विवाह की स्वतन्त्रता तथा स्त्री-पुरुषों के समान अधिकारों के पक्षधर थे।

ब्रह्म समाज और धर्म-सुधार कार्य - राजा राममोहन राय धर्म के प्रति बौद्धिक दृष्टिकोण अपनाने के पक्षधर थे। इस्लाम के एकेश्वरवाद तथा मूर्ति-पूजा विरोध, सूफीमत, ईसाई धर्म, नैतिक शिक्षाओं, पश्चिम के उत्तराधिकारवादी तथा बौद्धिक सिद्धान्तों का उन पर गहन प्रभाव पड़ा। उन्होंने मूर्ति-पूजा पर अमानवीय होने का आरोप लगाया तथा सभी धर्मों तथा मानवता के लिए एक ही ईश्वर के मत का प्रतिपादन किया।

हिन्दू धर्म के एकेश्वरवादी मत का प्रचार करने के लिए उन्होंने आत्मीय सभा ( 1815-19 ई.) की स्थापना की। 1828 में उन्होंने ब्रह्म सभा की स्थापना की, जो बाद में ब्रह्म समाज के रूप में प्रचलित हुआ। इस नवीन पंथ में सामाजिक रीति-रिवाजों एवं धार्मिक कर्मकाण्डों के लिए कोई स्थान नहीं था। एकेश्वरवादियों का 'समाज' था। समाज के सिद्धान्तों को न्यास के दस्तावेजों तथा तत्कालीन प्रकाशित पुस्तिका में परिभाषित किया गया। ब्रह्मसमाज का विश्वास था कि जो कुछ भी दृश्यमान जगत में अस्तित्ववान है, उस सबका कारण तथा प्रेरणास्रोत ईश्वर है। इसी प्रकार प्रकृति पृथ्वी और स्वर्ग- सभी उस ईश्वर की ही सृष्टि हैं। इनके यहाँ ईश्वर की अवधारणा में अवतार तथा ध्यान जैसे विचारों के लिए कोई स्थान नहीं है। वह ईश्वर तथा जीव (मनुष्य) के बीच किसी मध्यस्थ (पुजारी) की सत्ता स्वीकार नहीं करते थे। ब्रह्म समाज में न तो बलि चढ़ाने की अनुमति थी, न मूर्ति पूजा का समर्थन किया गया। ब्रह्म धर्म ने रंग, वर्ण अथवा मत पर विचार किए बिना मानवमात्र के प्रति प्रेम तथा जीवन की उच्चतम विधि के रूप में मानवता की सेवा पर बल दिया।

एक देशभक्त के रूप में राजा राममोहन राय एक उच्चकोटि के देशभक्त थे। उनके राजनीतिक विचार काफी प्रगतिशील थे। वे भारत में भारतीयों के हित में अंग्रेजी शासन के समर्थक थे। उन्होंने सामाजिक सुधार के प्रगतिशील उपायों के शुभारम्भ करने तथा आधुनिक शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना के लिए ब्रिटिश शासन की प्रशंसा की। फिर भी प्रेस की स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध लगाने के विरुद्ध, विरोधी आन्दोलन भी चलाया। वे भारत में कम्पनी के व्यापारिक अधिकार का अंत करना चाहते थे। इसीलिए उन्होने 'संवाद कौमुदी' और 'मिशन-उल-अखबार का संपादन कर जनमत संगठित करने की चेष्टा की। उन्होंने भारतीयों को उच्च पदों से वंचित रखने के लिए सरकार की आलोचना की।

शैक्षणिक विकास में योगदान - शिक्षा के क्षेत्र में उनके विचार बड़े क्रांतिकारी थे। प्राचीन भाषाओं के ज्ञाता होते हुए भी उनका विचार था कि भारत की प्रगति केवल उदार शिक्षा द्वारा ही हो सकती है। राजा राममोहन राय पाश्चात्य शिक्षा के भी बड़े समर्थक थे। वह शिक्षा की संस्कृत प्रणाली के विरोधी थे क्योंकि, "इससे देश कूप- मण्डूक बनेगा " यह उनका मानना था। उन्होंने हिन्दू कालेज, कलकत्ता की स्थापना के लिए भी महान योगदान किया।

अंतर्राष्ट्रीयता के समर्थक - राजा राम मोहन राय में केवल राष्ट्रीय भावना ही नहीं थी, वरन् वे एक अंतर्राष्ट्रीय शुभचिंतक भी थे। अंतर्राष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए उन्होंने सुझाव दिया था। उन्होंने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय विवादों से संबद्ध देशों की संसदों से एक-एक सदस्य लेकर एक अंतर्राष्ट्रीय संसद का निर्माण किया जाय।

प्रेस के क्षेत्र में - राजा राममोहन राय ने अपने विचारों को प्रेस के माध्यम से प्रचारित एवं प्रसारित किया। दिसम्बर 1821 में उन्होंने बंगला साप्ताहिक 'शब्द कौमुदी' अथवा 'प्रज्ञा का चाँद का प्रकाशन प्रारम्भ किया। भारतीयों द्वारा सम्पादित, प्रकाशित तथा संचालित यह प्रथम भारतीय समाचार पत्र था। इसके एक वर्ष पश्चात् इन्होंने फारसी भाषा में एक अन्य साप्ताहिक समाचार पत्र मीरात उल अखबार। या 'बुद्धि-दर्पण' का प्रकाशन प्रारम्भ किया। इन समाचार पत्रों के माध्यम से आपने अपने राजनीतिक एवं सामाजिक विचारों का प्रसारण किया।

न्याय-व्यवस्था के सुधारक के रूप में - राजा राममोहन राय न्याय व्यवस्था में भी सुधार चाहते थे। भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित न्याय व्यवस्था के अन्तर्गत न तो भारतवासियों को सही न्याय मिल सकता था और न यहाँ न्यायपालिका कार्यपालिका से स्वतन्त्र थी। राजा राममोहन राय ने इसके विरुद्ध आवाज उठाई और सरकार के समक्ष अनेक प्रस्ताव रखे कि

1 न्यायालयों में जूरी प्रथा लागू की जाए.
2. न्यायाधीश तथा मजिस्ट्रेट के पद पृथक् किए जाएं
3. कंपनी की नागरिक सेवा में भारतीय नागरिकों की अधिक-से-अधिक संख्या में नियुक्ति की जाए और
4 विधि-निर्माण के लिए भारतीय जनमत की सहमति व सहयोग लिया जाए।

निष्कर्ष रूप में यह कह सकते हैं कि राजाराम मोहन राय सभी दृष्टियों से एक महान व्यक्ति थे। रूढ़िग्रस्त भारतीय जनता को अज्ञान के अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले भारतीय सुधार आंदोलन के वे महान अग्रदूत थे और आधुनिक भारत के जनक थे। ब्रह्म समाज के माध्यम से उन्होंने सामाजिक और धार्मिक बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया। श्रीमती एनी बेसेंट ने राजाराम मोहन राय के संबंध में लिखा है कि, "राजा राममोहन राय में एक अद्भुत शक्ति, लगन और दृढ़ता थी। उन्होंने साहसपूर्ण हिन्दू कट्टरपंथी सीमा को तोड़ने का प्रयत्न किया और स्वतंत्रता का बीज बोया, जिसने पुष्पित, पल्लवित और फलित होकर राष्ट्र के जन-जीवन को नई चेतना से अनुप्राणित किया। मेकनिकोल के अनुसार, "राजा राममोहन राय एक नए युग के प्रवर्तक थे और उन्होंने जो ज्योति जलाई वह आज भी अनवरत जल रही है।" राजा राममोहन राय की लोकप्रियता को दर्शाते हुए सर ब्रजेन्द्र सील ने लिखा है कि, "राजाराम मोहन राय व्यापक मानवता के जनक थे। वे सच्चे और विशुद्ध मानवतावादी थे और उनकी नजर के सामने विश्व मानवता का चित्र नाचता रहता था। 1833 में इंग्लैण्ड में राजा राममोहन राय की असामयिक मृत्यु से ब्रह्म समाज की स्थिति बिगड़ने लगी, लेकिन 1834 में महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर और 1862 में केशवचन्द्र सेन के नेतृत्व में ब्रह्मसमाज में पुनः चेतना का संचार हुआ और राजाराम मोहन राय के कार्यों को आगे बढ़ाया गया।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  4. प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
  5. प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  6. प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  7. प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
  9. प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
  10. प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
  12. प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
  13. प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
  17. प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
  20. प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
  22. प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
  23. प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
  24. प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  25. प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
  28. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  29. प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
  32. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  33. प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  35. प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
  39. प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
  41. प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
  43. प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
  44. प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
  45. प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  46. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  47. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
  50. प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
  54. प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
  55. प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
  56. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
  57. प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
  60. प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
  61. प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  62. प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
  63. प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  66. प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
  67. प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
  69. प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
  70. प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
  73. प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
  75. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  76. प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  79. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
  83. प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
  85. प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
  88. प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  89. प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
  90. प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
  94. प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
  95. प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  97. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  100. प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
  101. प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
  102. प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
  104. प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
  105. प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  106. प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
  108. प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
  109. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
  110. प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
  111. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
  112. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
  114. प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
  115. प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
  116. प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
  118. प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
  119. प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
  120. प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  121. प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  123. प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  124. प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  125. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
  126. प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
  127. प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
  128. प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  131. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  132. प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  133. प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
  134. प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  137. प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
  138. प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
  141. प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
  142. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  143. प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
  144. प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
  146. प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
  147. प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?

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